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परमहंस हम किन को कहते हैं परमहंस का अर्थ क्या है

Himanshu Anand , himanshukumaranand276@gmail.com, 8449492344 , 2022/07/30 06:40:56 am

 

 विशेष—कुटीचक, बहूदक, हंस और परमहंस जो चार प्रकार के अवधूत कहे कए है उनमें परमहंस सबसे श्रेष्ठ है । जिस प्रकार संन्यासी होने पर शिखासूत्र का त्याग कर दंड ग्रहण करते हैं उसी प्रकार परमहंस अवस्था को प्राप्त कर लेने पर दंड की भी आवश्यकता नहीं रह जाती । निर्णायसिंधु में लिखा है कि जो परमहंस विद्वान् न हों उन्हें एक दंड धारण करना चाहिए पर जो विद्वान् हों उन्हें दंड की कोई आवश्यकता नहीं । परमहंस आश्रम में प्रवेश करने पर मनुष्य सब प्रकार के वंधनों से मुक्त समझा जाता है । उसके लिये श्राद्ध, संध्या, तर्पण आदि आवश्यक नहीं । देवार्चन आदि भी उसके लिये नहीं हैं, किसी को नमस्कार आदि करने से उसे कोई प्रयोजन नहीं । उसे अध्यात्मनिष्ठ होकर निर्द्वद्वं और निराग्रह भाव से ब्रह्म में स्थित रहना चाहिए